किसे हम भी चाहें
कोई हमें भी प्यार करेंकिसीके खयालों मैं हम खो जायें
कोई हमारी यादोंसे लिपटे सो जाएकिसीकी आँखों मैं झाँक कर हम बातोंको समझे
कोई अपनी पल्खे जुखाकर हमें समझाएकिसीसे हम भी रूठें
कोई हमें भी मनायेकिसे हम आँखोंसे ताखते रह जाये
कोई हमें बंद आँखोंसे अपना एहसास करायेकिसीको बाहों मैं लेकर हम दुनिया भुला दे
कोई बाहों मैं आकर एक नयी दुनिया बसा दे- Akky
One Reply to “Koi…(कोई)”
Comments are closed.
vei nice Akki…